जब मैं हूँ वो अब भी है ...
जब मैं रोया वो तब भी थी ,
जब मैं हंसू वो अब भी है...
जब मैं हंसू वो अब भी है...
जब चलना न सीखा वो तब भी थी,
जब दुनिया को चलाना सीखा वो अब भी है...
जब दुनिया नहीं देखी थी वो तब भी थी,
जब दुनिया देखी वो अब भी है...
कोख़ में भी जो पाले वो सिर्फ माँ ही है...
हर परिस्थिति में जो संभाले वो भी सिर्फ माँ ही है...
कोख़ में भी जो पाले वो सिर्फ माँ ही है...
हर परिस्थिति में जो संभाले वो भी
ग़म और दर्द में वो खुश तब भी थी,
अपने बच्चों की ख़ुशी में वो खु श आज भी है...
बच्चों की खुशाम्दगी के लिए वो तत्पर आज भी है...
कन्धों पर अपने वो हमे तब भी संभालती थी,
ग़म के बावज़ूद दिल में हमे वो आज भी संभालती है...
होठों पे दुआ और आँखों में ख़ु
जीवन में उन्नत्ति करते देख हमे वो खुश आज भी है...
उसके आँचल का साया निर्मल तब भी था,
नटखट शरारतों से वो खुश तब भी
दुखदायी हरकतों से वो चुप आज भी है...
बिन कहे वो आहट महसूस तब भी कर लेती थी,
न बोले वो सब कुछ बयान आज भी कर देती है...
ईश्वर का पर्यायवाची भी माँ ही है,
ईश्वर की अनुकम्पा का स्त्रोत भी माँ ही है...
निस्स्वार्थ का अर्थ तब भी माँ था,
करुणा का भाव आज भी माँ है...
ईश्वर का पर्यायवाची भी माँ ही है,
ईश्वर की अनुकम्पा का स्त्रोत भी माँ ही है...
निस्स्वार्थ का अर्थ तब भी माँ था,
करुणा का भाव आज भी माँ है...
मानवता में वो तब भी थी,
आत्मा में वो आज भी है...
माँ तब भी माँ थी,
माँ आज भी माँ है...माँ आज भी माँ है... माँ आज भी माँ है...
माँ आज भी माँ है...माँ आज भी
ईश्वर के साक्षात रूप "माँ "को मेरा कोटि कोटि नमन ...
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